हम बहुधा बच्चों को कोई नया काम करते देख कर हडबड़ा जाते हैं. घड़ी छू रहा है, कहीं तोड़ न डाले. बच्चे ने क़लम हाथ में लिया और हाँ...हाँ..हाँ..का शोर मचा!ऐसा नहीं होना चाहिए.बालकों की स्वाभाविक रचनाशीलता को जगाना चाहिए. बालक खिलौने बनाना चाहे या बेतार का यंत्र ; चाहे नाटकों में अभिनय करना चाहे या कविता लिखना चाहे, लिखने दो....माता-पिता की यह कोशिश होनी चाहिए कि उनके बच्चे उन्हें पतथर की मूर्ति या पहेली न समझें.हमें बच्चों को इस योग्य बनाना चाहिए कि वह खुद अपने मार्ग का निश्चय कर लें.छोटा बच्चा भी, अगर उसे सीधे रास्ते पर लगाया जाय, तो वह अपनी ज़िम्मेदारी को समझने लगता है.बच्चे को सही शिक्षा देना इसलिए ज़रूरी है, क्योंकि उसके जीवन का उद्देश्य कार्यक्षेत्र में आना है.:प्रेमचंद



अंग्रेजी के वे गीत जो भाये..

बच्चों आज आप सरल ज़बान में ऐसे गानों का आनद लीजिये जो न केवल मधुर हैं , साथ ही सन्देश भी देते हैं.अंग्रेजी से इतना दुराव मत रखिये कि कभी दिक्क़त आये.










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अक़लमंद खरगोश...

बच्चों समय कम है..वरना मैं आपको टाइप स्क्रिप्ट में कहानी पढवाती..लेकिन क्या करूं समय ही न मिला. आपके भाई आएश, आमश और इनके बाबा समय दे तब न!! कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी..पढने के लिए इस चित्र पर क्लिक करें....




आभार
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चिड़िया और मुनमुन















प्यारे बच्चो !! आओ आज एक ऐसी कहानी सुनाऊं जिसे दो पक्षियों ने रचा है.और लिखा है डॉ० यू० एस० आनन्द ने।

आम के एक पेड़ मेंलाली चिड़िया रहती थी। वह बड़ीदयालु और परिश्रमी थी। दिन-रात वहअपने काम में मगन रहती थी। उसकाएक छोटा-सा प्यार-सा बच्चा था।उसने उसका प्यारा-सा नाम रखा था- मुनमुन।

मुनमुन अभी बहुत छोटा था। उसकेपंख भी छोटे-छोटे थे, इसलिए वह उड़नहीं पाता था। सिर्फ इधर-उधर फुदककर अपना मन बहलाया करता था।वह साफ-साफ बोल भी नहीं पाता था, केवलचींचींकर अपनी माँ से बातेंकिया करता था। लाली चिड़ियामुनमुन को बहुत प्यार करती थी। वहउसके लिए दूर-दूर से दाने चुग करलाती थी।

रोज़ सुबह होते ही लाली चिड़िया दानेकी खोज में निकल पड़ती थी औरशाम होने के पहले ही घोंसले में वापसलौट आती थी। चिड़िया को आयादेखकर मुनमुन ’’चींचींकर अपनीखुशी प्रकट किया करता था। धीरे-धीरेमुनमुन बड़ा होने लगा। उसके पंख भीधीरे-धीरे बड़े होने लगे। अब वहइधर-उधर उड़ सकता था। कुछ हीदिनों बाद साफ-साफ बोलने भी लगा।अब वह बड़े मजे से बातें किया करताथा।

एक दिन जब लाली चिड़िया दाने कीखोज में बाहर जाने को निकली ही थीकि आसमान में काले-काले बादलों कोदेख कर ठिठक गयी। उसने मुनमुनको बुलाकर समझाते हुए कहा, “मुनमुन बेटे मेरे घर आने तक तुमघर पर ही रहना, इधर-उधर कहीं मतजाना। आज तूफान के लक्षण नज़र रहे हैं। मैं जल्दी ही लौट आऊँगी।

’’ठीक है माँ, मैं घर में ही रहूँगा”, मुनमुन ने सिर हिलाते हुए माँ सेकहा।

दूसरे ही क्षण लाली चिड़िया फुर्र से उड़कर चली गई। माँ के जाने के बादमुनमुन बड़ी देर तक इधर-उधरघोंसले में चक्कर काटता रहा, फिर वहघोंसले से बाहर निकल आया और एकडाली पर बैठ कर आसमान में उठतेकाले-काले बादलों को देखने लगा।बादलों का उठना उसे बड़ा भला लगरहा था।

उसने सोचा, क्यों थोड़ी दूर तक घूमआया जाय, माँ को थोड़े ही पताचलेगा। माँ के आने से पहले ही वह घरलौट आएगा। फिर क्या था, उसने हवामें अपने पंख फैलाए और फुर्र सेउड़कर नज़दीक के एक पेड़ पर जाबैठा।

अब हवा भी थोड़ी तेज़ चलने लगी थी।मुनमुन गुनगुनाता हुआ एक पेड़ सेदूसरे पेड़ पर फुर्र-फुर्र कर उड़ता हुआआगे की ओर बढ़ा जा रहा था। आजउसे उड़ने में काफी आनन्द रहाथा। वह एक पेड़ से होकर दूसरे पेड़होता जंगल से बाहर निकल आया।

तभी एकाएकसों सोंकरती हुई हवातेज़ हो गई और आसमान बादलों सेपूरी तरह ढँक गया। अचानक हुए इसपरिवर्तन से मुनमुन काफी घबराउठा। वह पीछे मुड कर तेज़ी से घर कीओर भागने लगा। किन्तु चारों ओरअन्धेरा छा जाने के कारण उसे रास्तासाफ नहीं सूझ रहा था। साथ ही तेज़ीसे उड़ने के कारण वह थक भी चलाथा। उसने सोचा, अगर माँ की बातमान कर वह घर से बाहर नहींनिकलता तो कितना अच्छा होता।इस आकस्मिक विपत्ति में तो नहींफँसता। उसका मन रुआँसा हो गया।वह ज़ोर-ज़ोर से माँ को पुकारने लगा- ’’माँ...... माँ.......

तभी एक ओर से पंख फड़फड़ाती हुईलाली चिड़िया पहुँची। वह घोंसलेमें मुनमुन को पाकर उसे खोजनेनिकली थी। मुनमुन की आवाज़पहचानकर वह उसके नज़दीक गईऔर उसके बाँह पकड़ कर तेजी सेघोंसले की ओर लौट पड़ी। किसी तरहगिरती पड़ती वह मुनमुन को लिएघोंसले में पहुँच गई। दूसरे क्षण आँधीऔर भी तेज़ हो गई।

घोंसले में पहुँच कर मुनमुन ने रोते हुएमाँ से कहा, “मुझे माफ कर दो माँ।तुम्हारे मना करने पर भी मैं घर सेबाहर निकल गया था। आज अगर तुमसमय पर नहीं पहुँचती तो पता नहींतूफान में मेरी क्या दुर्गर्त होती।

उस दिन के बाद मुनमुन फिरकभी-भी अपनी माँ की आज्ञा काउल्लंघन नहीं किया।

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वन्दे मातरम्

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जण गण मण अधिनायक जय हे

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सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा

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भेड़िया और बकरी

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बन्दर ने खोली दूकान

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बच्चों की कहानियां

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लब पे आती है दुआ

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How to pray SALAAT OR NAMAZ

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बच्चों की कूची





















आएश !!अब क़रीब-क़रीब पांच साल के हो गए .जब खेलने का मन हुआ तो गुज़रे एक साल से अपने बाबा के साथ कंप्यूटर पर बैठते रहे हैं.और अपने मतलब से अपने मन से रंगों की दुनिया में खेल-तमाशा करते रहते हैं.यहाँ उनकी ही तमाशाई के कुछ नमूने हैं.
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मंज़िल के चिराग़

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