आएश भी हो चुके हैं ,अब छह साल के रखने लगे हैं अपनी किताबें संभाल के : दादा
आएश के दादा यानी हाजी सैयद मोहम्मद मुस्लिम कभी खूब शायरी किया करते थे.लेकिन समय ने उनसे यह छीन लिया.अब कभी-कभार !!
आएश इस चार अगस्त को छह साल के हो गए.लेकिन दादा उन से दूर हैं.हाँ उनकी अम्मा उनके पास हैं तो ज़रूर लेकिन अशक्त हैं.
उनके दादा ने कुछ पंक्तियाँ लिखी थीं जब आएश ने अपना चौथा जन्मदिवस मनाया था.और वह दिल्ली में ही थे.लीजिये आप भी आस्वादन कीजिये:
मेरे अज़ीज़ मेरे चहिते और खुश खिसाल
शुक्रे खुदा की तुम ने गुज़ारे हैं चार साल
उम्रे-खिज़र हो, खस्लत-ए-हज़रत अली की हो
पढने में तुम रहो दुनिया में बेमिसाल
[अज़ीज़ यानी प्रिय, खुस-खिसाल मतलब अच्छी आदत व्यवहार वाले ,खिज़र एक पैगम्बर हुए जिन्होंने लम्बी आयु पायी थी.हज़रत अली खलीफा हुए.जिनकी ईमानदारी और बहादुरी के क़िस्से मशहूर हैं.]
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